Monday, April 11, 2011

hawa aati hai shahar se to haal maloom hota hai
khush hoon shahar me ab bhi mere jikra ka aalam hai"
dwiviv..

Thursday, December 23, 2010

मुक्तिबोध

नीर क्यों अधीर आज पीर भी उदास है..
जिंदगी का मोह क्यों म्रत्यु भी तो खास है..

तुमने ही तो प्यार किया था !!

तिमिर रात की नीरवता में
विस्मित तन और लज्जा लेकर
अल्हड मन बिन समझे बूझे
यौवन को आँचल में ढककर
अपनी ही सीमा को हरकर
मेरे द्वारे धीरे से वार किया था
प्रियवर ! उस रात गए,
तुमने ही तो प्यार किया था |

चाँद रात के मौसम में
बाहुपाश में अपने लेकर
हाथों में चेहरा लेकर
मेरी सांसों को अपना कहकर
कम्पित अधरों को मेरे अधरों रखकर
अपने यौवन का अधिभार दिया था
प्रियवर ! उस रात गए,
तुमने ही तो प्यार किया था |

अबोध पायल की स्वर लहरी
और चूडियों के गान में
झंकृत मन और उनींदी आँखे
शर्म, हया और लज्जा त्यजकर
सारे ही अधिकार सौंप
मेरे काँधे को थाम लिया था
प्रियवर ! उस रात गए,
तुमने ही तो प्यार किया था |

Friday, September 24, 2010

हर्ष और प्रसन्नता में डूबे हुए
कुछ अनछुए पल
यदि अधिकार में होता मेरे
तो रख लेता सहेजकर
ह्रदय के किसी कोने में
और रोज महसूस करता
एक अनछुआ पल..

संभावनाओं से भरे हुए दिन
यदि अधिकार में होता मेरे
तो बांध देता इसे
अपनी माँ के पल्लू से
और रोज मांगता
एक खनकता हुआ दिन..

द्विविव..

मृत्यु !!

हे प्राणी !
मुक्तिबोध
मैं बोधिसत्य
अकिंचन, अटल
अविचल विश्वास हूँ
जीवनरुपी यात्रा में
देर तक रुकने वाला
साथ हूँ.
मैं मृत्यु हूँ मैं खास हूँ..

मैं सदा ही आस-पास
नए जीवन का प्रयास हूँ
मैं सृष्टि का विकास
मैं तेरा मोहपाश हूँ
मैं तुम्हारे ही द्वारा
उतार फेंका गया
सबसे पुराना लिवास हूँ
मैं मृत्यु हूँ मैं खास हूँ..

dwiviv..

????????

खण्ड - खण्ड अखण्ड है
विभीषिका प्रचंड आज
शीश वो कटा दिया जो
जो कभी झुका नहीं
अजनबी के हाथ में
अपना ही क्यों नरमुंड है
दुदुम्भी बज उठी है आज
हो गया है शंखनाद ..

आसमां के चक्षुओं में
आंसुओं का चीत्कार
जंगलों में शोर क्यों
वायु - वेग उष्ण आज
प्रलय का है सामना
हिमालय का सिंहनाद
दुदुम्भी बज उठी है आज
हो गया है शंखनाद..

खेत जो उजाड़ हैं
हाथ में कृपाण आज
वक्ष जो भरा हुआ
कोख भी वीरान है
मृत्यु का है भय नहीं
ह्रदय से है आर्तनाद
दुदुम्भी बज उठी है
हो गया है शंखनाद ..

द्विविव..

नयी सुबह ..

सुबह - सुबह जब आँख खोली
चुपके से आकर माँ की ममता बोली
तेरे लिए खुशियाँ ढूँढ लाई हूँ
बेटे तेरे लिए नयी सुबह लायी हूँ..

देख अपने मंदिर का प्रसाद है
इसमें कुरआन की कुछ आयतों का वास है
ईसा ने तेरे लिए आशीष का हाथ भेजा है
उठ ! तेरे लिए प्रकाश ढूंढ लाई हूँ
बेटे तेरे लिए नयी सुबह लायी हूँ..

द्विविव..